Saturday, October 18, 2014

[IAC#RG] भारत के मुख्य न्यायधीश के नाम खुला पत्र ( कोल गेट का भाई टोल गेट )

सेवा में,
भारत के मुख्य न्यायधीश,
उच्चतम न्यायालय,
नई दिल्ली।

विषय : पूर्वनिर्धारित एवं पूर्व सूचित आमरण अनशन को टोल प्लाजा प्रबधक
द्वारा जबरदस्ती गैर कानूनी तरीके से हटवाने, गलत व्यवहार कराने, हत्या
और अपहरण का प्रयास करने तथा भ्रष्टाचार करने पर कार्यवाई के संबंध में।
महाशय,
विदेशी और देशी कंपनियों के गठजोड़ से बनी मेसर्स सोमा आईसोलक्स कम्पनी
द्वारा कई नियमों और अनुबंधों की अवहेलना करते हुए सासाराम के पास टोल
गेट बनाकर कई वर्षों से अनैतिक वसूली की जा रही है। बनाए गये सड़क का लगभग
पूरा पैसा संभवत: वसूला जा चुका है । स्थानीय लोगों और गाड़ियों के लिए
बनाए जाने वाले सर्विस रोड का निर्माण जानबूझ कर जनता को लूटने के लिए
पूरा नहीं किया गया है । न तो सिक्स लेन बना है, न ही फ़ोर लेन की समय पर
मरम्म्त ही होती है और न ही अनुबंध के अनुसार सभी नागरिक सेवा और अन्य
सुविधा जैसे यातायात नियमों का अनुपालन, जरुरत वाले जगह पर ट्रैफिक
सिगनल, चौराहों और तिराहों की क्रौसिग पर जरुरी रंबल स्ट्रीप, प्राथमिक
चिकित्सा सुविधा, स्पीड नियंत्रण व्यवस्था, वेब्रीज आदि उपलब्ध करायी गयी
है जबकी इन सभी कामों के लिए जनता से कई वर्षों से पैसे वसूले जा रहे
हैं। इस कारण समय-समय पर दुर्घटनायें होती रहती हैं। दुर्घटना स्थल पर इस
कंपनी की कोई सेवा पिड़ित व्यक्ति को नहीं मिलती है और न ही बाद में कोई
सहयोग मिलता है ।
टोल प्लाजा की दूरी शहर से 10 किलोमीटर दूर होना चाहिए, जबकि सासाराम
नगरपालिका क्षेत्र से टोल प्लाजा की दूरी लगभग 3 किलोमीटर ही है । दो टोल
प्लाजा के बीच की न्यूनतम दूरी 60 किलोमीटर से कम नहीं होना चाहिए जबकि
मोहनिया टोल गेट की दूरी 50 किलोमीटर से भी कम है । एक ही प्रकार का
टैक्स एक रोड टैक्स के नाम पर तो एक टोल टैक्स के नाम पर सरकार जनता से
दो बार ले रही है। सरकार और ठेकेदार रोड टैक्स और टोल टैक्स दोनों ले रहे
हैं तो जनता को सर्विस रोड और 6 लेन दोनों सुविधा भी देना चाहिए था।
पुराने सड़क को ही उखाड़ कर 4/6 लेन बनाया गया जो की सर्विस रोड का काम कर
सकता था और 4/6 लेन अलग बनाए जा सकते थे। फ़िर से सर्विस रोड बनाने का
अनावश्यक बोझ जनता पर डाला जा रहा है इससे देश को भारी नुक़सान हुआ है।
सासाराम से टोल रोड पर 2 किलोमीटर चलते ही आमस (गया) तक का टोल टैक्स
लिया जाता है। मोहनिया टोल गेट से मलवार, सासाराम टोल गेट की दूरी 50
किलोमीटर से भी कम है जबकि दोनों तरफ़ का एक ही टैक्स लिया जाता है।
आम आदमी पार्टी, रोह्तास, बिहार इकाई अनैतिक वसूली रोकने के लिए आवेदन
राष्ट्रीय राजमार्ग एवं परिवहन मंत्रालय सहित सभी संबंधित अधिकारियों और
केंद्रीय मन्त्री को भी भेज चुकी है। परन्तु अभी तक कोई उत्तर हमें
प्राप्त नहीं हुआ है । स्थानीय जिलाधिकारी एवं उपविकास आयुक्त के साथ
दोनों पक्षों की तीन बैठक भी हो चुकी है। अध्यक्ष सह जिला एवं सत्र
न्यायधीश , जिला विधिक सेवा प्राधिकार, रोहतास (सासाराम) को भी आवेदन
दिया गया था जिसे कार्यवाही के लिए जिला पदाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को
भेजा जा चुका है। परिवहन मंत्री श्री नितिन गडकरी नें संभवतः हमारे आवेदन
के आधार पर यह ब्यान संसद में दिया था कि "जिन सड़क या हाइवे की लागत
वसूल हो चुकी है, वहां टोल टैक्स खत्म कर दिया जाएगा। साथ ही, जहां काम
पूरा हुए बिना टोल टैक्स लेना शुरू कर दिया गया है, उस पर भी रोक लगाई
जाएगी।" यह कंपनी बहुत बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी है। यह समय से पहले भी काम
पूरा करने की क्षमता रखती है, परन्तु यह जानबूझकर सड़क का निर्माण पूरा
नहीं कर रही ताकि सड़क के मरम्मत की अवधी के अन्तिम वर्ष में सड़क बना यहाँ
से चली जाए और मरम्मत तथा अन्य सुविधाओं पर होने वाले खर्च को चुरा ले
जाए। साथ ही उसे अपना पैसा भी कम निवेश करना पड़े, पैसा जनता से पहले ही
वसूल ले। देश के हर कोने में भूमी अधिग्रहण में विलम्ब का बहाना बनाया जा
रह है। ठेकेदार, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, और स्थानीय प्रशासन एक
दूसरे को दोषी बता कर देश और देश की जनता का अहित कर रहे हैं, जबकि अन्दर
से इनकी मिलीभगत है। ठेकेदार इनके सह्योग से अपने हित में मनमाने ढ़ंग से
नियमों और प्रावधानों में परिवर्तन भी करा लेते हैं, जो कि देश और जनता
के हित में नहीं होता है। देश के बाकी हिस्सों में भी यह कंपनी यही
गोरखधंधा कर रहीं है । समय पर सड़क नहीं बनाने के कारण इस कंपनी पर
हर्जाना भी लगाया जा चुका है और वह हर्जाना भी जनता से वसूल कर भरती है।
ऐसी स्थिति में इसके अनैतिक कमाई में से सरकारी अधिकारियों और नेताओं के
भी अनैतिक लाभ लेने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। यह लूट की
व्यवस्था बदलनी चाहिए।
हमारी माँग पुरी तरह से जायज है और हम 20 अगस्त 2014, दिन बुधवार को टोल
प्लाजा गेट, मलवार, सासाराम पर अवैध वसूली बंद कराने के लिए आन्दोलन भी
कर चुके हैं। इस आवेदन पर कार्यवाई होती है तो इसका लाभ पुरे देश को
मिलेगा, पुरे देश में जाल की तरह फ़ैले ये लूट गेट पर नियन्त्रण लगाया
जाना शुरु हो जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय में एक मुकदमा सिविल अपील सं -
4611/2014 में जो अनियमितता और लूट की सिकायत पायी गयी थी, वह आज भी
दोहराई जा रही है। यह एक प्रकार से न्यायालय को धोखा देना और अवमामना
करना भी है।
हम इस देश की सभी जिम्मेदार संस्थान विधायिका, कार्यपालिका और
न्यायपलिका से गुहार लगा चुके हैं। व्यापक जनहित में कोई कार्यवाही न
होने के कारण हमें फ़िर से आन्दोलन करना पड़ रहा है, न चाह्ते हुए भी सरकार
पर त्वरित करवाई करने के लिए दबाव बनाने हेतु 13/10/2014 को जिला
मुख्यालय पर धरना तथा 14/10/2014 को टोल गेट पर अनशन किया गया, जहाँ
हमारे साथ गलत व्यवहार भी किया गया। इसके लिए ठेकेदार, राष्ट्रीय
राजमार्ग प्राधिकरण, स्थानीय प्रशासन, राज्य सरकार, केन्द्र सरकार और
अन्य संवैधानिक संस्थाएँ भी जिम्मेदार हैं। मैं देशहित और जनहित में
व्यवस्था परिवर्तन के लिए 2010 से ही आंदोलनात्मक रास्ता अपनाता रहा हूँ।
जिसमें धरना, प्रदर्शन, आमरण अनशन, सविनय अवज्ञा आन्दोलन (कानून तोड़ना /
सिविल डिसआडर / नाफरमानी), गिरफ्तारी देना और जेल जाना भी शामिल है। आज
की व्यवस्था में सूचना अधिकार कार्यकर्ताओं और व्हिसिल ब्लोअर
कार्यकर्ताओं को हिंसा और झुठे मुकदमों का भी शिकार होना पड़ता है। उक्त
कंपनी के भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई कार्यवाई न होने के कारण टोल गेट पर
आमरण सत्याग्रह अनशन तथा सिर्फ एक लेन का रास्ता रोककर सांकेतिक सिविल
नाफरमानी का काम किया जा रहा था ताकि विरोध स्वरूप गिरफतारी भी दी जा
सके। उक्त लेन से आवागमन बंद हो गया था। टोल गेट के कर्मचारी और अधिकारी
मेरे पास आए थे, मैंने उन्हें अपने आमरण अनशन और गिरफतारी देने का इरादा
और कारण बता दिया था और पुलिस को सूचना देने का अनुरोध भी किया था। कुछ
देर बाद मेरे खिलाफ साजिश करके एक डम्फर को मेरे लेन में जबरदस्ती घुसाया
गया। मुझे कुचलने के लिए भी चालक पर दबाव बनाया गया। जब चालक आगे नहीं
बढ़ा तो मेरे हाथ पैर टाँग कर किनारे वाले लेन में भिंगे हुए सड़क पर डाल
दिया गया मेरा समान भी सड़क पर फेक दिया गया जिसमे धार्मिक ग्रंथ गीता और
कुरान भी था। थोड़ी देर में वहाँ पर एम्बुलेंस ले आया गया और मेरा अपहरण
कर कहीं ले जाने की तैयारी की जाने लगी। मेरा कुछ समान भी गाड़ी में रख
दिया गया। परन्तु उसी समय हमारे जिला संयोजक आ गये और मोबाईल से क्लिप
लेने लगे तो मेरा समान उतार दिया गया और एम्बुलेंस को हटा लिया गया। उनके
सी॰सी॰ टी॰वी॰ कैमरे में सारे साक्ष्य मौजूद हैं। वे साक्ष्यों के साथ
छेड़छाड़ कर सकते हैं, अत: उनके कम्प्यूटर का हार्डडिस्क जप्त किया जाए
और विडियो क्लिप का सी॰डी॰ बना कर मुझे भी उपलब्ध कराया जाए। पुलिस
अधीक्षक और जिला प्रशासन को घटना की सूचना देने के बावजूद पुलिस नहीं आयी
तो इस संबंध में एक संक्षिप्त प्राथमिकी शिवसागर थाना में 14-10-2014 को
ही दर्ज करा दी गयी थी।
हम आपसे निम्न आग्रह करते हैं :-
1. टोल प्लाजा निश्चित दूरी पर ले जाने तथा अनुबंध के अनुसार सभी कार्य
100% पूरा होने तक टैक्स वसूली पर रोक लगाया जाए। सर्विस रोड और 6 लेन
रोड दोनों बनने तक रोड टैक्स और टोल टैक्स दोनों पर रोक लगाई जाए।
2. अनुबंध का समय से और पूरा अनुपालन न होने के कारण ठेकेदार, राष्ट्रीय
राजमार्ग प्राधिकरण, और स्थानीय प्रशासन तिनों के जिम्मेंदार लोगों पर
जुर्माना लगाया जाए।
3. नये अल्प समय सीमा के अन्दर अनुबंध के अनुसार बचे सारे कार्य पुरा
करने और सुविधा देने का विषयवार उल्लेख करते हुए सपथ पत्र लिया जाए,
अन्यथा अनुबंध का समय विस्तार न किया जाए।
4. टोल सड़क का उपयोग की गयी वास्तविक दूरी के हिसाब से टैक्स का निर्धारण किया जाए।
5. अब तक हुई सभी दुर्घटना में मारे गये लोगों और घायल हुए लोगों के
परिजनों को इस कंपनी से पर्याप्त मुआवज़ा दिलाया जाए।
6. ठेकेदार कंपनी के बही खातों और फर्जी खर्चों की CAG अंकेक्षण कराया जाए।
7. टोल गेट घोटाले की CBI जाँच हो।
8. मेरी हत्या और अपहरण का प्रयास करने और मेरे साथ दुरव्यवहार कराने का
साजिश रचने वाले टोल प्लाजा प्रबंधक को तत्काल गिरफ्तार कर सजा दिलाया
जाए।

आपका विश्वासी,
स्थान : जमुहार
दिनांक: 19/10/2014 ( ग़ुलाम कुन्दनम् )
सामाजिक कार्यकर्ता
पता : ग़्राम + पोस्ट - जमुहार,
थाना - डेहरी, जिला - रोहतास (बिहार)।
मोबाईल सं – 9931018391॰

FB लिंक :- भारत के मुख्य न्यायधीश के नाम खुला पत्र ( कोल गेट का भाई टोल गेट )

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कोल गेट का भाई टोल गेट
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तथाकथित विदेशी निवेशक,
लूट रहे इस देश को बेशक,
घोटाले करते भर भर पेट,
कोल गेट का भाई टोल गेट ।

सर्विस रोड तो हमें दिए नहीं,
हमारा पुराना रोड भी खा गए,
फोर लेन सही मरम्मत नहीं ,
सिक्स लेन का ठेका पा गए ।

विदेशी लूट कर ले ही जा रहे,
कुछ नेता - अफ्सर भी खाता है।
हमारे पैसों से ही रोड बनाना,
क्या यही निवेश कहलाता है ?

प्रशासन, प्राधिकरण और कंपनी,
तीनों मिल बाँट कर खाते हैं,
कोर्ट पूछती विलंब का कारण,
तो एक- दूसरे पर दोष लगाते हैं ।

नागरिक सुविधा, सुरक्षा मानक,
कागजों में देखे जाते है,
इनकी खामियों के कारण,
कई लोग जान गवाते हैं ।

- ग़ुलाम कुन्दनम्
(सामाजिक कार्यकर्ता)

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